Monday, November 1, 2010

पहाड़ की ज्वलन्त समस्याओं को सामने रखने में सफल रही “दायें या बायें”

उत्तराखण्ड के ग्रामीण परिवेश पर आधारित बेला नेगी निर्देशित बहुप्रतिक्षित फिल्म “दायें या बायें” 29 अक्टूबर 2010 को देश के कुछ चुनिन्दा शहरों के साथ ही नैनीताल फिल्म फेस्टिवल के पहले दिन प्रदर्शित की गयी. इस फिल्म की लेखिका और निर्देशिका बेला नेगी मूलत: नैनीताल की ही निवासी हैं. इस फिल्म का नैनीताल में प्रदर्शन इसलिये भी खास रहा क्योंकि नैनीताल के ही स्थानीय कलाकारों ने इस फिल्म में कई महत्वपूर्ण रोल निभाये हैं. सभी स्थानीय कलाकार भी फिल्म के विशेष प्रदर्शन के मौके पर उपस्थित थे, सिर्फ गिरीश तिवारी “गिर्दा” को छोड़कर, जिनका अगस्त में देहान्त हो गया था.



फिल्म के स्थानीय कलाकार नैनीताल फिल्म फेस्टिवल के दौरान

“दायें या बायें” एक स्वस्थ मनोरंजक फिल्म होने के साथ-साथ पहाड़ की कई जटिल समस्याओं की ओर भी दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रही है. फिल्म के माध्यम से बेला नेगी ने कामेडी के बेहतरीन मिश्रण के साथ पहाड़ों में महिलाओं की स्थिति, शराबखोरी, दिशाहीन युवा पीढी, प्राकृतिक सम्पदाओं के अनियन्त्रित दोहन, राजनेताओं की कुटिल चालों के साथ-साथ पिछड़े इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा को भी बखूबी दर्शाया है. यहां तक की जहरखुरानी और जंगल की आग की तरफ भी ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई है. पर्वतीय ग्रामीण अंचल की पृष्टभूमि पर बनी शायद यह पहली फिल्म है जिसे इतने बड़े पैमाने पर बनाया गया है. पूरी फिल्म में पहाड़ के लोकजीवन एवं समस्याओं को बेहतरीन ढंग से दर्शाया गया है. बेला नेगी ने एक दृश्य में जागर का समावेश करके पहाड के लोक संगीत को भी फिल्म में स्थान देने की कोशिश की है.

पूरी फिल्म में काम करने वाले 1-2 कलाकारों को यदि छोड दिया जाये तो बांकी लोगों ने पहली बार फिल्म में अभिनय किया है. यहां तक की बेला ने ग्रामीण लोगों के रोल में गांव के वास्तविक निवासियों से अभिनय करवाया है. इससे पूरी फिल्म हकीकत के बहुत करीब लगने लगती है. पहाड़ पर आधारित फिल्म बनाने की बेला की यह ईमानदार कोशिश भावनात्मक तौर पर तो बेहद सफल रही है. देश भर के जाने-माने फिल्म समीक्षक भी इस फिल्म की तारीफ कर रहे हैं लेकिन आर्थिक आधारपरयह फिल्म कितनी सफल होगी यह देखना दिलचस्प होगा.

2 comments:

Unknown said...

फ़िल्म वाकई बहुत सटीक है।आप लिखते भी सटीक है।

Unknown said...

फ़िल्म वाकई बहुत सटीक है।आप लिखते भी सटीक है।