Tuesday, April 27, 2010

अब बारहोंमास फलेगा "हिसालु" का फल - इन्टरनेट पर


हिसालु जेठ-असाड़(मई-जून) के महीने में पहाड़ की रूखी-सूखी धरती पर छोटी झाड़ियों में उगने वाला एक जंगली रसदार फल है. इसे कुछ स्थानों पर "हिंसर" या "हिंसरु" के नाम से भी जाना जाता है. अगर आपका बचपन पहाड़ी गांव में बीता है तो आपने हिसालू का खट्टा-मीठा स्वाद जरूर चखा होगा. शाम होते ही गांव के बच्चे हिसालू के फल इकट्ठा करने जंगलों की तरफ निकल पड़ते हैं और घर के सयाने उनके लौट आने पर इनके मीठे स्वाद का मिलकर लुत्फ़ ऊठाते हैं. हिसालू का दाना कई छोटे-छोटे नारंगी रंग के कणों का समूह जैसा होता है, वैसे नारंगी रंग के हिसालू के अलावा लाल हिसालू की भी एक प्रजाति पायी है.


हिसालू के स्वाद को उत्तराखण्ड से बाहर रह रहे उत्तराखण्ड के लोग बहुत याद करते हैं, याद करने के अलावा कुछ किया भी नहीं जा सकता क्योंकि उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों के अलावा यह फल शायद कहीं और नहीं मिलता है. इस रसभरे फल को पहाड़ से ले जाकर देश के अन्य महानगरों में रह रहे पहाड़ियों तक पहुंचाना भी संभव नहीं है क्योंकि यह फल तोड़ने के तुरन्त बाद ही खराब होने लगता है और 2-3 घन्टे बाद खाने लायक नहीं रहता.

अब हम आपको पहाड़ से लाकर हिसालु का स्वाद तो चखा नहीं सकते, लेकिन इसी हिसालु को समर्पित करते हुए हम आपके लिये लाये हैं उत्तराखण्ड की पहली Aggregator वेबसाइट- WWW.HISALU.COM. उत्तराखण्ड से सम्बन्धित सैकड़ों साइट्स अब WWW पर उपलब्ध हो चुकी हैं लेकिन क्या आप उन तक पहुंच पाये हैं? क्या आप चाहते हैं कि इन सैकड़ों वेबसाइट्स पर उपलब्ध होने वाली नई (Latest) सामग्री के बारे में आपको एक ही वेबसाइट पर पता चल जाये? तो आज ही एक नजर डालिये WWW.HISALU.COM पर.



जिस तरह हिसालू के छोटे-छोटे कण मिलकर एक हिसालू का एक तोप्पा (बूंद) बनाते हैं उसी तरह हमारा प्रयास है कि WWW.HISALU.COM के माध्यम से उत्तराखण्ड से सम्बन्धित सभी वेबसाइट्स को आपके सामने रखा जाये. हमें पूर्ण विश्वास है कि मेरा पहाड़ नेटवर्क (www.MeraPahad.com & www.ApnaUttarakhand.com) का यह प्रयास आपको अवश्य पसन्द आयेगा. कृपया हमें बतायें कि WWW.HISALU.COM को बेहतर बनाने के लिये हम और क्या कर सकते हैं? यदि आप उत्तराखण्ड से संबन्धित कोई अच्छी साइट WWW.HISALU.COM पर जुड़वाना चाहते हैं तो भी बतायें. हमें आशा है कि आप WWW.HISALU.COM को अपने अन्य उत्तराखण्डी मित्रों तक जरूर पहुंचायेंगे.



देहरादून में आयोजित इस अनावरण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी हमारे फोरम के इस लिंक पर उपलब्ध है।

यदि आप भी अपनी वेबसाईट या ब्लाग को हिसालू डाट काम पर संकलित करवाना चाहते हैं तो निम्न पते पर ई-मेल कर अपनी साईट/ब्लाग का पता भेज सकते हैं।

hisalu@merapahad.com

10 comments:

tavishi said...

maja aa gaya hisalu kha ke

M Joshi said...

Hemjee bahut hee uttam prays hai keep it up

dayal Pandey said...

Hem ji ab to net par hi sab kuchh khana hoga, lekin Hisalu ko savdhani purwak khana hota hai kyuki isaki jhadiya katili hoti hai, Hisalu kahata bhi hai-
"Jo meri topi khalo me weki loti khula" matlav jo meri topi khayega main usaki skin khaunga.

साईट एडमिन said...

पंत ज्यू महाराज,
यौ त अणकसी बात है जालि हो महाराज अब हिसाव आपुण टैम पेई पाकन त भल छी, अब अगर दूध गोरूक बजाय कुकुर दीण लाग त फ़िर गोरूक मह्त्ता त खत्म भै। अब अगर हिसाव खाणाक लिजी रूड़ी में इन्तजार नी करण पड़ तो फ़िर हिसावुक स्वाद कसिक आल।

Unknown said...

haji hishalu .com dekha ,,,,,,,,,,bahut acha laga sari jankari ek saath mil gayi,hishalu to khane ko milta nahi chalo naam to baar -baar milega,,,,,,,,,, aap sabhi logo ka website banane k liye shuktiya

Unknown said...

bilku mast hain ji

Unknown said...

badiya sir ji

Unknown said...

पंत ज्यू, हिसालू खा के तो मजा ही आ गया ठैरा हो महाराज! धन्यबाद्।

कविता रावत said...

hisalu dekhkar muhn mein paane aa gaya..
bahut achha laga aapka blog
likhte rahiye

Joshi said...

Hem ji hardik shubhkaamnayen, ye sarahniya kadam hai asha karta hu log ashavadi banenge tatha judne k liye aage ayenge....