Wednesday, February 1, 2017

पंछी बनकर उड़ने की चाह

बात सन् 1993-94 की है, हम लोग 9th में पढ़ते थे। पिथौरागढ़ में हमारे स्कूल की तरफ पहली बार पैराग्लाइडिंग का प्रशिक्षण शुरू हुआ। रंगीन छतरियों की उड़ने की कोशिश को नजदीक से देखने की चाहत में हम बहुत बार स्कूल से भागकर उस पहाड़ पर चढ़ जाते थे जहाँ Paragliding चल रही होती थी। उस समय उड़ान भरने की तो हमारी उम्र थी नहीं, लेकिन ये तो ठान ही लिया था कि किसी दिन अपने गांव-शहर का Bird's Eye View जरूर देखना है।

लगभग उसी दौरान पिथौरागढ़ में हवाई पट्टी का उदघाटन हुआ तो शहर के लोगों के सपनों को पंख लग गए। ऐसा कहा जाने लगा कि अब जल्द ही पिथौरागढ़ विश्वभर के पर्यटन मानचित्र पर छा जाएगा। ऐसा हो भी सकता था क्योंकि यहां के अनछुए पर्यटक स्थलों में विश्वभर के पर्यटकों को आकर्षित करने की पूरी सम्भावनाएं छुपी हुई हैं। लेकिन अफ़सोस की बात है कि एअरपोर्ट की कहानी आज 23 साल बाद भी 'घोंघे की रफ्तार' से आगे बढ़ रही है। खैर...



वापस पैराग्लाइडिंग पर लौटते हैं.. पहले पढ़ाई और बाद में नौकरी की उलझनों में फंसकर बहुत लम्बा समय निकल गया। पिथौरागढ़ में पैराग्लाइडिंग करने की इच्छा मन में बनी रही पर संयोग बन नहीं पा रहा था। इस बार की छुट्टियों में शंकर सिंह जी के मार्गनिर्देशन में पिथौरागढ़ के आसमान में  पैराग्लाइडिंग करने का मौका मिला तो इस अनुभव की अमिट यादें दिल के कोने में दर्ज हो गईं।

30 जनवरी'17 को मौसम साफ़ था, हल्की धूप थी और बादल बिल्कुल भी नहीं थे। हवा की तीव्रता थोड़ा कम थी। कुल मिलाकर पैराग्लाइडिंग के लिए ठीकठाक मौसम था। मुझे एडवोकेट मनोज ओली जी के साथ 'टेंडम फ्लाइट' में उड़ना था और हमारा साथ देने के लिए शंकर दा ने 'सोलो फ्लाइट' की। एअरपोर्ट के ठीक ऊपर समुद्रतल से लगभग 1900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कनारी-पाभैं की चोटी पर पहुँचकर एक अलग ही अनुभूति हुई। यहां से पिथौरागढ़ की 'सोरघाटी' का पूरा नजारा एक ही नजर में दिख जाता है। इतनी ऊँची जगह से मैंने भी पहली बार अपने शहर को देखा था। और अब इससे भी ऊपर उड़ने को मैं उत्साहित था। देश, राज्य और पिथौरागढ़ जिले में साहसिक खेलों को आगे बढ़ाने वाले दो महत्वपूर्ण लोग आज मेरे साथ थे। मैं शंकर दा और मनोज जी से बातचीत करते हुए उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखता-समझता जा रहा था। दोनों पैराग्लाइडर बैग से निकल चुके थे और हम लोग कैमरा और बांकी उपकरणों के साथ पूरी तरह से तैयार हो गए। हवा की अनुकूल दिशा के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ा। मनोज ओली जी के निर्देश मिलते ही ढलान की तरफ लगभग 10 कदम की दौड़ लगाने पर ग्लाइडर हवा में उठ गया। अपने रोमांच को नियंत्रित करने में मुझे 5-7 सेंकड लगे और उसके बाद मैं अपने सपने को पूरा होते देखने का आनन्द उठाने लगा।



वाह! अदभुद अनुभव,, हमारे बाएँ हाथ की तरफ नेपाल के पहाड़, सलेटी का मैदान और वड्डा था। सामने मेरे गाँव का ऊपरी कोना, कामाक्ष्या मन्दिर और सेंट्रल स्कूल। दाएं हाथ की तरफ हवाईपट्टी, पिथौरागढ़ का मुख्य शहर और पैरों के नीचे कनारी-पाभैं, नैनीसैनी गाँव थे। ऊपर से दिखने वाली जानी पहचानी पहाड़ों की चोटियां, गहरी खाइयां, जंगल, खेल के मैदान, नदियां,,, इन सबसे मेरा बचपन से ही भावनात्मक जुड़ाव रहा है। मैं सोचने लगा हमारे आसपास उड़ रहे चील उड़ते हुए कितना सुंदर नजारा देखते हैं।

लगभग 10 मिनट हवा में रहने के बाद बहुत ही सुरक्षित लैंडिंग हुई। इस यादगार हवाई यात्रा के बाद जब हम हवाईपट्टी के पास बने हुए अपने लैंडिंग पॉइंट पर उतरे तो मेरे दिल में सन्तुष्टि का भाव था। थोड़ी देर बाद शंकर दा का पैराग्लाइडर भी नीचे उतरा।



शंकर सिंह जी और मनोज ओली जी से हुई लम्बी बातचीत और इस पैराग्लाइडिंग अनुभव के बाद मैंने  महसूस किया कि उत्तराखंड राज्य में (खासकर पिथौरागढ़ जिले में) रॉक क्लाइम्बिंग, फिशिंग, हाईकिंग, माउंटेनियरिंग, माउंटेन बाइकिंग, वाटर स्पोर्ट्स जैसे साहसिक खेलों को बढ़ावा दिया जाए तो हम स्विट्ज़रलैंड को भी पीछे छोड़ सकते हैं। हमारे पास कमी है तो सिर्फ सुगम आवागमन सुविधाओं की और ठोस सरकारी नीतियों की।

पैराग्लाइडिंग के इस अनुभव के साथ एक और चीज हमेशा याद रहेगी,,, उड़ने से पहले और बाद में सड़क के किनारे बैठकर गुड़ की 'कटकी' के साथ अदरक वाली जायकेदार चाय की चुस्कियां।

शुक्रिया शंकर सिंह जी (मो. 8979227575 ), एडवोकेट मनोज ओली जी (मो. 9412374199)
टेक ऑफ से लैंडिंग तक का पूरा वीडियो,, http://www.youtube.com/watch?v=l3WrVDlANCA

25 comments:

Vinod Pant Khantoli said...

शानदार ...

Mahesh said...

बहुत बढ़िया हेम भाई!

Pratibha Katiyar said...

वाह।

Pratibha Katiyar said...

वाह।

Unknown said...

Shandaar jandar jindabad

CoolBisht said...

That's great! Keep going! May God fulfill all your dreams!

Unknown said...

Bahut hi sundar varnan hai

Unknown said...

Wonderful!

DOI said...

वाह, उम्मीद है जल्द ही मैं भी करूँगा..

pushkar said...

सुन्दर

pushkar said...

सुन्दर

डॉ गिरीश चन्द्र शर्मा said...

Bahut sundar!

Vineeta Yashsavi said...

This is really amazing...

Unknown said...

Great...you made me curious for same experience...

thegroup said...

आपने उड़ने की चाह जगा दी .लगे हाथ खर्चे का ब्यौरा भी दे दें . मौका लगेगा तो हम भी हाथ आजमाएंगे .

Hem Pant said...

ब्लॉग के अंत में दो नम्बर दिए गए हैं,, ज्यादा जानकारी वहीं से मिलेगी

Hem Pant said...

मार्च में कर लीजिए,, best time है

ghughutibasuti said...

वाह, बहुत भाग्यवान हैं जो पैराग्लाइडिंग कर पाए.उम्र रहते यह सब कर लेना चाहिए. पिठोरागढ़ बहुत सुन्दर जगह है. हम डेढ़ साल पहले गए थे.
घुघूती बासूती

Ankita joshi said...

Nicely written....keep it up..

veg recipes from my kitchen said...

Thanks for sharing such a nice post.

kailash said...

फ़रवरी लास्ट वीक का प्लान है। धन्यवाद

Unknown said...

6से10 मार्च 2017 को paragliding कर पायेंगे क्या? कृपया जानकारी दिजीये ताकी हम प्लॅन बना सके।

Unknown said...

6से10 मार्च 2017 को paragliding कर पायेंगे क्या? कृपया जानकारी दिजीये ताकी हम प्लॅन बना सके।

Hem Pant said...

कृपया ब्लॉग पोस्ट के अंत में दिए गए मोबाइल नम्बरों पर सम्पर्क कीजिएगा
धन्यवाद

Gopu Bisht said...

वाकई शानदार....जबर्दस्त वृतांत।